Page 47 - December 2020
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From Teacher’s Pen
"अब समझा दो टहन्दी में"
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य कसा समय ह आया स्क ू ल में,
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चारों तरि सन्नािा छाया स्क ू ल में,
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बच्च शिक्षा पा रह अकल में,
ज्ञान-िाला चल रही मोबाइल में।
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बच्च आना चाहते हैं स्क ू लों में,
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सब ऊब चुक हैं अब अपन भवनों में,
कोई नज़र नही आ रहा बगीचों में
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सब डर रह घरों स ननकलन में ।
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कोरोना को अब समझा दो टहन्दी में,
बहत खल चुक तुम सबकी बस्ती में,
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शमिा लो अपनी हस्ती अब तुम जल्दी स,
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क्योंफक
बच्च वापस आना चाहते हैं अपनी मस्ती में ।।
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रचन - शशख महत
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